Mar 22, 2024

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य


2024-03-21 

विश्व कविता दिवस और सबसे बड़ा महाकाव्य 

आज तोताराम ने बाहर से ही बहुत जोर से आवाज लगाई-  महाकवि, प्रणाम । बधाई हो । 

जैसे कर्नाटक के 2023 के विधान सभा के चुनावों में   ‘जय  बजरंग बली’  का नारा गूँजा था वैसी ठसक तोताराम की आवाज में थी । कर्नाटक का नारा भी अद्भुत रहा । जहां गूँजा वहाँ तो कुछ नहीं हुआ लेकिन छह महीने बाद हमारा बरामदा अर्थात राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर गई ।वैसे ही हम भी चारपाई से गिरते गिरते बचे । पता नहीं आवाज की तरंगें थीं या प्रशंसा का नशा । सच है,  निंदा तो आदमी एक बार फिर भी मन मसोसकर झेल जाता है लेकिन प्रशंसा उसे हिलाकर गिरा ही देती है ।  

हमने बैठे बैठे ही कहा- यहाँ कोई महाकवि नहीं रहता । 

बोला- मजाक मत कर ।मैं तुझे ही कह रहा हूँ । मुंह मीठा करवा या नहीं लेकिन दरवाजा तो खोल । 

हमने कहा- हमें तुम्हारी यह प्रशंसा  मजाक लगती है । यह प्रशंसा वैसी ही है जैसे वरुण गांधी और मेनका गांधी को प्रियंका या राहुल के खिलाफ भाजपा का टिकट दे दिया जाए । हाँ और ना दोनों में फंसे । अरे, जब मोदी जी ने बीसियों लड़के लड़कियों को इसी महीने में क्रियेटर्स अवॉर्ड दिए तब भी हमें याद नहीं किया । और कुछ नहीं तो तुझे 60 साल से चाय पिलाने के लिए  ‘भोजन श्रेणी’ में ही नामांकित कर देते । 

बोला- लेकिन हम लोगों को तो स्वयं को पुरस्कारों से उसी तरह दूर कर लेना चाहिए जैसे लता मंगेशकर ने खुद को फिल्मफेयर पुरस्कारों से दूर कर लिया था  या जैसे आडवाणी जी ने उम्र को देखते हुए सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर बरामदे में बैठना स्वीकार कर लिया है । 

हमने कहा- लेकिन आडवाणी जी को जबरदस्ती बैठाया गया है ।  उन्होंने भारतरत्न लेने से मना कर दिया क्या ?

बोला- भारतरत्न है ही ऐसी चीज ।  

हमने कहा- इस सम्मान की औकात तो तीन से बढ़ाकर पाँच करने पर ही पता चल गई थी । हो सकता है अगर लोकसभा चुनाव को देखते हुए जरूरत पड़ी तो और दस बीस लोगों को दिया जा सकता है । राष्ट्रीय लोक दल को पटाने के लिए चरणसिंह को भारतरत्न दिया जबकि चरणसिंह भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ को पसंद नहीं करते थे ।  लेकिन छोड़,  यह बता, हमें किस बात की बधाई दे रहा है ? 

बोला- आज ‘विश्व कविता दिवस’ है ना, महाकवि । 

हमने कहा- हमने कौनसा महाकाव्य लिख दिया जो महाकवि संबोधित कर रहा है । हमने तो पिछले तीस बरसों में नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह, अटल जी और मोदी जी पर कुछ फब्तियाँ कसने के अलावा और लिखा ही क्या है ? जैसे वाल्मीकि और तुलसी राम के कारण हैं वैसे ही अन्य व्यंग्यकारों की तरह हम भी इन्हीं महापुरुषों के कारण हैं । हमारा क्या है ? 

मोदीमय तिहुं लोक बखाना 

हम सब केवल भक्त समाना 

बोला- सही पकड़े हैं । न लिखा हो महाकाव्य लेकिन यह जन भावना है जैसे राम-कृष्ण सभी केवल नायक है लेकिन अमिताभ बच्चन महानायक है । बहुत से प्रधानमंत्री हुए लेकिन राम मंदिर के रुपए-पैसे संभालने वाले चंपत राय के अनुसार विष्णु के अवतार केवल मोदी जी ही हैं । 

ऐसे में अगर मैं तुझे महाकवि मानता हूँ तो किसी को क्या ऐतराज है । 

हमने कहा- तोताराम, अपने इलाके के एक कवि हुए हैं परमेश्वर द्विरेफ । वे तुलसीदास को भी महाकवि नहीं मानते थे क्योंकि उनके रामचरितमानस में केवल सात सर्ग हैं जबकि परिभाषा के अनुसार महाकाव्य में कम से कम आठ सर्ग होने चाहियें । 

बोला- इस हिसाब से तो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द जी को सबसे बड़ा महाकवि माना जाना चाहिए । तुलसीदास उन्हें कवियों की श्रेणी में मानते हैं- 

जम कुबेर दिक्पाल जहाँ  ते 

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते 

और फिर उन्होंने तो ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की महिमा पर मात्र 191 दिनों में साढ़े अठारह पेज का एक महाकाव्य लिख मारा है - वन नेशन वन इलेक्शन । दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य ‘महाभारत’ से भी बड़ा । 

हमने कहा-  'एक देश, एक चुनाव' पर कमेटी ने 62 पार्टियों से संपर्क साधा था। इनमें से 47 ने जवाब दिया। 32 पार्टियो ने एकसाथ चुनाव कराने का समर्थन किया, 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया और 15 पार्टियों ने इसका जवाब नहीं दिया। 

वह तो एक रिपोर्ट है और वह भी गद्य में है । 

बोला- ‘गद्य काव्य’ क्या काव्य नहीं होता ? और फिर इसकी आत्मा तो देख । बीज वाक्य ‘वन नेशन :वन इलेक्शन’  ही जब काव्यात्मक है तो यह एक काव्य ही है । एक वाक्य का भी महाकाव्य हो सकता है । 

मुझे तो मोदी जी का साढ़े चार शब्दों का एक छंद ही इस देश का, इसकी आत्मा का,  इसके लोकतंत्र का ‘एन्टायर  पॉलिटिकल साइंस’ की तरह एक ‘एन्टायर महाकाव्य’  लगता है - ‘ अबकी बार : चारसौ पार’ । 

हमने कहा- ठीक है । 

बोला- ठीक है तो एक चाय और मँगवा । इसी ‘एन्टायर महाकाव्य’ पर चर्चा करते हैं । 

हमने कहा- चर्चा में क्या रखा है ? काम से काम चलेगा । चर्चा तो ठलुओं का काम है । 

बोला- मुझे भी पता है । जिन्हें कुछ नहीं  करना होता वे ‘बनाने’ के लिए चर्चा ही करते हैं । 

हमने पूछा- क्या बनाने के लिए ?

बोला- वही जो बाबाजी ने एक बार पत्रकार को कहा था । 

हमने कहा- वह तो एक गाली था । 

बोला- गाली नहीं, हमारी उत्तर भारत की हिन्दी पट्टी का एक शृंगारिक और निकट सामाजिक रिश्ता स्थापित करने वाला  विशेषण है । 

-रमेश जोशी 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

Mar 21, 2024

अब तो कर ले नमस्कार


अब तो कर ले नमस्कार

 

तोताराम आया और बैठने से पहले ही बोला- अब तो कर ले नमस्कार । हमने कहा- अब यही शेष रह गया है कि हम छोटे भाई को आते ही उठकर नमस्कार करें । लेकिन तू कौनसा रोज आते ही हमारे चरणस्पर्श करता है । हम तो बालसखा है । इन सब औपचारिकताओं से मुक्त हैं । बोला- यही तो खराबी है तुझमें । किसीकी सुनना नहीं, बस अपनी ही दले जाना । अरे, नमस्कार मुझे नहीं; चमत्कार को नमस्कार कर । चमत्कार को नमस्कार तो दुनिया सदा से करती आई है । हमने कहा- किस किस को नमस्कार करें । यह देश तो है ही चमचाकारों का ।

बोला- मास्टर, शब्दों से मत खेल । मैं चमचों की नहीं, चमत्कारों की बात कर रहा हूँ। हमने कहा- हम चमत्कारों को चमचों से इसलिए जोड़ रहे हैं कि चमचों के बिना चमत्कारों को प्रचार नहीं मिलता । वे सामान्य जन बनकर चमत्कारों का प्रचार करते हैं और अपनी दिहाड़ी पक्की करते हैं । गाय पालने और उसकी सेवा करने की बजाय गाय की मूर्ति पूजने की बात सबसे ऊंचे स्वर में गाय की पूंछ पकड़कर सरकारी ग्रांट की वैतरणी पार करने वालों में गौशालाओं अध्यक्ष से लेकर मेवात के गौ रक्षक ही अधिक होते हैं । गोबर-गौमूत्र से केन्सर ठीक करने वाले जुकाम होते ही एम्स में भागते हैं ।

बोला- तेरे जैसे नास्तिकों को धर्म में विश्वास ही नहीं है । अरे, धर्म पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। हमने कहा- दुनिया धर्म नहीं, कर्म पर टिकी हुई है । धर्म पर बैठे बैठे खाने वाले टिके हुए हैं, दुनिया नहीं । अनाज उपदेशों से नहीं उगता । एक बार प्रसिद्ध तर्कवादी श्रीलंका के प्रोफेसर अब्राहम थॉमस कावूर ने एक बड़े चमत्कारी बाबा को चेलेंज दिया था कि यदि बाबाजी चमत्कार दिखा दें तो वे अपनी सारी संपत्ति उन्हें दे देंगे लेकिन बाबा टाल गए । हम तो कहते हैं भभूत निकालने वाले बाबा रेता ही निकाल दें । निर्माण कार्य सस्ता हो जाए और नदियों के तट पर अवैध खनन की जरूरत न पड़े ।

बोला- मैं तो आँखों देखी बता रहा हूँ । राम मंदिर में जनवरी में प्राणप्रतिष्ठित काले पत्थर की मूर्ति को मुस्कराते हुए देखा है। प्रमाणस्वरूप तोताराम ने हमारे सामने अखबार में छपी एक फ़ोटो कर दी । हमने कहा- ये सब फोटोग्राफी और कंप्यूटर का कमाल है । शायद इसे ‘डीप फेक’ कहते हैं । यह भी समझो लंबी फेंकने जैसा ही कुछ है । यह एक बड़ा घोटाला है । यह हमारे मूर्तिपूजक धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम, ईसाई धर्म में भी है । वे भी अपने अनुयायियों को मूर्ख बनाने के लिए तरह तरह के चमत्कार करते हैं ।तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सब करते हैं ।

लेकिन हमारे यहाँ फिर भी कबीर और दयानन्द सरस्वती जैसे सुधारक संत हुए हैं जिन्होंने ऐसे अंधविश्वासों और मूर्तिपूजा का विरोध किया है । ऐसे प्रगतिशील इतिहास वाले समाज को तू क्यों अंधविश्वासों में धकेलना चाहता है ? तोताराम, एक झूठ को स्वीकार कर लेने से फिर और और झूठों का ऐसा अंबार खड़ा हो जाता है कि उसके सामने सारे समाज का सामान्य विवेक नष्ट हो जाता है । जब मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित हो गए हैं, वे मुस्कुरा रहे हैं तो फिर मंजन भी करेंगे, खाना ,कलेवा, स्नान, शयन भी करेंगे ।

बोला- हाँ, करते क्यों नहीं ? तभी तो पूजा में इस प्रकार सभी विधिविधान हैं । जगन्नाथ भगवान तो साल में एक बार बीमार भी होते हैं । उन 15 दिनों में भगवान 56 भोग नहीं खाते । केवल काढ़ा पीते हैं । हमने कहा- तो फिर इस अवधि में उनके भक्तों को भी केवल काढ़ा पीना चाहिए । बोला- ऐसा कैसे हो सकता है । भक्त तो बेचारे भौतिक जीव हैं । उनके साथ तो सभी सांसारिक सत्कर्म और खटकर्म लगे ही रहते हैं ।

हमने कहा- फिर भी तोताराम । पहले की बात और थी । बीमारियाँ कम और छोटी-मोटी हुआ करती थी लेकिन आजकल तो एक दूसरे के पास बैठने, बात करने मात्र से हो सकती हैं । कोरोना भी सुन रहे हैं आजकल फिर किसी नए रूप में सक्रिय हो रहा है । अच्छा हो, भगवान को ऐसे कोरोना संक्रमित भक्तों से बचाया जाए ।राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वैचारिक रूप से संक्रमित व्यक्ति में कोई मर्यादा नहीं होती । वैसे भी बच्चों को संक्रमण अधिक होता है । रामलला भी तो अभी पाँच साल के ही हैं । इसलिए ध्यान रखना चाहिए । लोगों का चेकप करके ही गर्भगृह में प्रवेश देना चाहिए ।

बोला- जब भक्तों और दर्शन पर ज्यादा नियम कायदे कानून लगाएंगे तो आमदनी कम नहीं हो जाएगी ? मोदी जी और योगी जी तो देश की अर्थव्यवस्था को धार्मिक-पर्यटन उद्योग की तरफ ही ले जा रहे हैं । तभी तो हर छोटे बड़े तीर्थ में कॉरीडोर विकसित किये जा रहे हैं । सुनते हैं राम मंदिर में इन डेढ़ दो महीनों में कोई 40 हजार का धंधा हो गया है । हमने कहा- फिर भी इतना तो किया ही जा सकता है कि रामलला को मास्क पहना दिया जाए क्योंकि आजकल के भक्त तरह तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त पाए जाते हैं विशेषरूप से बड़े बड़े सेठ । और वे ही लोग सबसे देर तक और निकट से दर्शन करते हैं ।

बोला- कुछ नहीं होता । मोदी जी ने तो बंगाल में कोरोना के पीक समय में धुआंधार रैलियाँ की थीं । हमने कहा- मोदी जी की बात और है । वे राम से भी बड़े हैं । ऐसे ही थोड़े कहा गया है कि राम से बड़ा राम का नाम । वैसे ही ‘राम से बड़ा राम का भक्त’ । देखा नहीं, मंदिर प्रवेश के समय कैसे रामलला को मंदिर में ले जा रहे थे जैसे कोई अभिभावक बचे को स्कूल छोड़ने जा रहा हो ।बोला- अब जब 2024 का चुनाव सिर पर है और चुनाव राम को आगे करके लड़ा जा रहा है तो ऐसे प्रतिबंधों और नियमों के बारे में सोचना संभव नहीं है । हमने कहा- हो सकता है 500 पार के चक्कर में मोदी जी रामलला को ही 2029 का चुनाव लड़वा दें ।

बोला- 2029 क्या, अब भी चुनाव प्रभु ही तो लड़ रहे हैं । वही तो चेहरा हैं । मोदी जी तो निमित्त मात्र हैं । उनके भरोसे ही तो मोदी जी 400 पार कह रहे हैं । मैं तो सोचता हूँ कहीं 600 पार न हो जाएँ । एक तो 24 घंटों जागने वाले, दूसरे विष्णु अवतारी तीसरे चमत्कारी मोदी जी और चौथे प्रभु-कृपा । कुछ भी मुमकिन है । लेकिन रामलला ने एक छोटी सी लीला क्या दिखा दी तू उसकी आड़ में फेंटेसी पर फेंटेसी पेले जा रहा है । कल को कहेगा गर्भगृह में अटेच शौचालय क्यों नहीं । अब बात समाप्त कर । अगर किसी की भावना आहत हो गई और एफ आई आर दर्ज हो गई तो चार-पाँच साल हिरासत में ही कट जाएंगे । और इससे ज्यादा समय तेरे पास बचा भी नहीं है ।

वैसे मैं अपनी चमत्कार वाली बात पर अब भी कायम हूँ । आने दे राम नवमी जब ‘सूर्य तिलक’ होगा और सारा विश्व रामलला के चमत्कार को नमस्कार करेगा। हमने कहा- वही सूर्यतिलक ना जब रामनवमी को सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में विराजे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी ? बोला- हाँ। तो हमने कहा- यह कोई दैवीय या बाबा का चमत्कार नहीं है । यह विज्ञान पर आधारित सूर्य की गति और कोणों के सामंजस्य और गणना के द्वारा किया जा रहा है । इसमें किरणों और मूर्ति की स्थिति को त्रिकोण करने में बैंगलुरु की डीएसटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तकनीकी सहायता प्रदान की है और बैंगलुरु की ही एक कंपनी ‘आप्टिका’ ने लेंस और पीतल ट्यूब का काम किया है ।


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Mar 19, 2024

थिंक बिग


थिंक बिग

 

आज ठंड कम है । कहें तो 14 फरवरी बसंत पंचमी को बसंत की आधिकारिक घोषणा के बाद पहली बार लगा कि हाँ, मौसम बदल रहा है अन्यथा तो सर्दी पलट पलटकर तेवर दिखा रही थी जैसे सरकार अचानक कोई भी अध्यादेश लाकर अपनी विज्ञापनों के बावजूद नगण्य होती जा रही उपस्थिति को स्थापित करने का प्रयत्न करती है ।

हमने तो 2002 में ही खुद को बरामदा निर्देशक मण्डल में स्थायी रूप से स्थापित कर लिया था । वैसे भी हम कौन किसी हाई या सुप्रीम कोर्ट के जज हैं जिसे अपने सत्कर्मों के बदले सरकार बार बार सेवा करने के लिए दूसरी तीसरी पारी प्रदान करेगी । कुछ लोग देश के विकास के लिए इतने अपरिहार्य हो गए हैं कि उनके लिए निर्देशक मण्डल के नियम बदले जाने वाले हैं । बिना किसी भारत रत्न की प्रतीक्षा के बरामदे में बैठे रोज पहले पेज पर छपने वाले ‘मोदी की गारंटी’ और ‘डबल इंजन की सरकार’ के विज्ञापन में अपने मतलब की कोई गारंटी खोज रहे थे जो अब तक मिली नहीं और कोई संभावना भी नजर नहीं आती ।

अचानक बरामदे पर चढ़ने की प्रक्रिया में एक बड़ा लबादा या कहें किसी अरब शेख का लंबा चोगा सा हमारे पास आ गिरा । नीचे देखा तो एक कोई दस नंबर का जूता पड़ा था । लबादे में से खोज कर निकाला तो तोताराम। बड़ा अजीब लगा ।

कहा- तोताराम, आज ही तो लगा है कि बसंत ऋतु आ गई और तू है कि यह डबल बेड की चद्दर जितनी बड़ी शाल लादे हुए है । अब तो इस दलिद्दर को छोड़ ।और यह इतना बड़ा छह नंबर की जगह दस नंबरी जूता ! हालांकि शुरू शुरू में सभी बच्चों में यह कुंठा होती है कि वे बड़ों के जूतों में पाँव डालकर जल्दी से बड़ा होना चाहते है । और इस चक्कर में अधिकतर गिर भी जाते हैं लेकिन समय के साथ अधिकतर को समझ आ जाती है कि बड़ा बड़े कामों और सोच से होता है । केवल बातों और सोचने से नहीं । तेरे साथ भी वही हुआ लगता है । गिरना ही था ।

बोला- कल मोदी जी का गुड़गावां में द्वारका एक्सप्रेस वे के उद्घाटन पर भाषण नहीं सुना ? वे अपना ‘विजन 2047’ प्रस्तुत करते हुए कह रहे थे- मैं छोटा नहीं सोचता । मैं बड़े सपने देखता हूँ । तो क्या मेरा ‘विजन 2042’ नहीं हो सकता ? हमने कहा- लेकिन मोदी जी से संगत में तेरा भी विजन 2047 क्यों नहीं ? यहाँ भी अपनी डेढ़ चावल की अलग खिचड़ी !

बोला- 2042 में पूरा एक सौ साल का हो जाऊंगा । और कितना विकास देखना है ? जितना देख लिया वही क्या काम है ।100 साल का हो जाने पर पेंशन दुगुना हो जाएगी अगर मोदी जी ने कोई अध्यादेश लाकर लोचा न डाल दिया तो बस, एक बार पासबुक में एंट्री देख लूँ । मोदी जी की बात अलग है वे तो अजर अमर हैं । ‘विजन 2047’ क्या ‘विजन 3047’ बना लें । लिमिट करने की होती है । सोचने की कोई लिमिट नहीं होती ।

हमने फिर पूछा- लेकिन तेरा यह इतना बड़ा लबादा और यह दस नंबर का जूता पहनने का क्या तमाशा है ?बोला- कहा ना, थिंक बिग । अमरीका के टेक्सस के बारे में कहा जाता है- एवेरीथिंग इज बिग इन टेक्सस । वैसे ही मैंने भी सोच कुछ बिग किया जाए । सो पहन लिया यह पहलवान दारासिंह का 53 इंची सीने वाला कुर्ता और दस नंबर का जूता ।

हमने पूछा- 56 इंची सीने वाला कुर्ता और उसी के हिसाब से जूता क्यों नहीं ? बोला- उसके लिए तो कई उचक्के घूम रहे हैं ।मेरा नंबर कहाँ लगेगा । और फिर मैं कोई विष्णु का अवतार थोड़े हूँ । हमने कहा- तो अब चल, चलते हैं । क्या इस ‘थिंक बिग कुर्ते’ और ‘थिंक बिग जूते’ के बाद रोड शो नहीं करेगा ?बोला- अब क्या रोड शो करना । सारा मूड खराब कर दिया । चलूँ, जरा मंडी जाना है सब्जी लाने ।

हमने कहा– चले जाना, ऐसी भी क्या जल्दी है । बोला- जल्दी तो नहीं है फिर भी मुझे तो पैदल जाना है । सो निकल लेता हूँ । मुझे कौन मनोहरलाल खट्टर अपनी मोटर साइकल पर पीछे बैठाकर ले जाएगा ।हमने जाते हुए तोताराम को छेड़ा- कोई बात नहीं जा, लेकिन आजकल गारंटियों का मौसम चल रहा है तो तू भी कोई एक गारंटी ही देता जा । बोला- यह तोताराम की गारंटी है कि वह आजीवन रोज तेरे यहाँ बिला नागा चाय पीने आएगा ।


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Mar 10, 2024

बासी खिचड़ी और हाथी का गू

बासी खिचड़ी और हाथी का गू 


आज चाय पीने के बाद तोताराम ने थोड़ा जोर से आवाज लगाई- आदरणीया भाभीजी, संतुष्टि नहीं हुई । 


हमने कहा- सरकारें अपनी गारंटी और डबल इंजन के प्रचार में रोज अखबारों के पहले पेज में विज्ञापन दें लेकिन सब जानते हैं कि ये कैसी गारंटी हैं और इनसे किसे और कितना लाभ हो रहा है । लेकिन हम बिना किसी चुनावी लाभ और गारंटी का ढिंढोरा पीटे तुझे रोज चाय पिलाते आ रहे हैं फिर भी तेरी आत्मा को संतुष्टि नहीं हुई जो ‘आदरणीया भाभीजी’ की गुहार लगा रहा है । याद रख, मनुष्य का स्वभाव ही है कि वह कभी संतुष्ट नहीं होता । और ब्राह्मणों के लिए तो कहा गया है- असंतुष्टा द्विजा नष्टा । तभी कहा गया है- जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान । 


तभी पत्नी कटोरी में कुछ लाई और बोली- लाला, अभी और कुछ संभव नहीं है । यह थोड़ी सी खिचड़ी है, इसी से संतुष्टि प्राप्त करो । 


तोताराम ने अजीब सा मुंह बनाकर कहा- भाभी, लगता है यह मास्टर बहुत  घुन्ना और रहस्यमय व्यक्ति है । कहीं किसी निजी प्लेन से रात रात में जामनगर होकर आ गया और किसीको पता भी नहीं चला । 


पत्नी ने कहा- लाला, लगता है तुम्हारा दिमाग चल गया है ।कहाँ का निजी प्लेन ?  खिचड़ी का जामनगर से क्या संबंध ?  

 

बोला- अकबर के जमाने में बीरबल की खिचड़ी नहीं पकी और आज भी जनता की दाल नहीं गल रही है । 80 करोड़ लोग केवल पाँच किलो अनाज के लिए भिखमंगों की तरह लाइन लगाते हैं लेकिन जामनगर में हाथियों के लिए खिचड़ी पक रही है, दाल भी अच्छी तरह गल रही है । एक करोड़पति एंकर ने तो प्याला भरकर खिचड़ी खाते हुए फैसला दे दिया कि उसने ऐसी स्वादिष्ट खिचड़ी पहली बार खाई है । लगता है मास्टर भी वहीं से खिचड़ी कबाड़ लाया है । यह भी तो खुद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पत्रकार समझता है ।

अगर यह जामनगर वाले अनंत अंबानी के निजी ज़ू  ‘वनतारा’ में हाथियों को खिलाई जाने वाली खिचड़ी नहीं है क्या आपके पालतू बिल्ले ‘फाल्गुन’ और पालतू कुतिया ‘कूरो’ के लिया बनाई थी ?


हमने कहा- वैसे ये दोनों ही खिचड़ी नहीं खाते फिर भी ऐसा नहीं है कि हम इनके लिए कोई अलग तरह की रोटियाँ बनाते हैं । वही आटा, वही सब कुछ । हाँ, जानवरों की रोटी चुपड़ना ठीक नहीं होता इसलिए घी नहीं लगाते । 

हो सकता है ‘वनतारा’  वाली खिचड़ी में पतंजलि  का घी रहा हो इसलिए एंकर ने तो खा ली लेकिन अनंत ने डाइटिंग के चलते नहीं खाई । तू तो खाले । तू तो 40 किलो का है । अच्छा है, देह यष्टि थोड़ा गदरा जाएगी तो पर्सनेलिटी बन जाएगी । 


बोला-तेरी यह भुक्कड़ वाली खिचड़ी खाकर क्या धर्म बिगाड़ना ? कहा भी है- गू ही खाना पड़े हाथी का तो खाओ ।  सो खिचड़ी ही खाएंगे तो अंबानी वाली खाएंगे ।

 

हमने कहा- हाथी के मल को गू मत बोल । वैसे घोड़े, गधे और हाथी के मल को लीद कहते हैं लेकिन चूंकि हाथी गणेश का प्रतीक होता है तो उसे कम से कम गोबर जितना पवित्र दर्जा तो दिया ही जाना चाहिए । यदि तेरी अनुप्रास में निष्ठा है तो इसे ‘गजविष्ठा’ कह सकता है । 


बोला- तू माने या न माने लेकिन गू तो गू ही होता है, चाहे सूअर का हो या विष्णु भगवान का । 


हमने कहा- नहीं, ऐसा नहीं होता । व्हेल की उल्टी लाखों रुपए किलो में बिकती है । हाथी के निगलने के बाद कॉफी के जो बीज मल के साथ बाहर आते हैं उनसे बनी कॉफी दुनिया की सबसे महंगी कॉफी होती है । आजकल तो पाद भी बिकता है । सुनते हैं विकसित देशों में कुछ सुंदरियाँ गैस सिलेंडर की तरह शीशी में भरकर अपना पाद बेचकर लाखों रुपए कमाती हैं । कल का प्रवचन इसी पर होगा । फिलहाल इतना समझ ले कि वस्तु का कोई मूल्य नहीं होता उससे जुड़े संदर्भों का होता है । मोदी जी के 15 लाख के सूट को गुजरात के एक व्यापारी ने 4 करोड़ में खरीदा था । एक फुटबॉल खिलाड़ी के पुराने जूते भी लाखों में बिके थे ।  


बोला- हजारों व्यापारियों ने करोड़ों रुपए के चुनावी बॉन्ड क्या किसी महान राजनीतिक दर्शन से प्रभावित होकर खरीदे हैं ? सब साहब को खुश करके दस-बीस गुना कमाने के लिए खरीदे हैं ।तू कुछ भी कह लेकिन मीडिया की तरह मेरे इतने बुरे दिन भी नहीं आए हैं कि तेरी रात की बासी खिचड़ी खाऊँ और न ही इतना गया गुजरा हूँ कि किसी पद या सम्मान के लिए किसी विष्णु के अवतारी के पीछे बैठकर उसका पाद सूँघूँ  । 


हमने कहा- यह तेरा व्यक्तिगत फैसला है ।लाभान्वित हो या वंचित रह ।लेकिन बाद में किसी को दोष मत देना । बहुत से लोग बड़े लोगों के पीछे लगे रहकर  ‘पूज्य’ बन गए तभी तो ‘बहुत बड़े’ अवतारी लोगों को ‘पूज्यपाद’ कहा जाता है अर्थात ‘बहुत बड़े’ लोगों का ‘पाद’ भी पूज्य होता है ।   

 






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